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जिनके शैक्षिक प्रेम के सद्प्रयासों ने हम सबको एक उद्देश्य के लिए एक छत के नीचे ला दिया।

महाविद्यालय के संस्थापक स्व. रामलाल सिंह यादव का जन्म 1887 ई. में हुआ था। श्री यादव एक कर्मठ एवं राष्ट्रवादी चिंतक के साथ-साथ गरीबों के मसीहा के रूप में उनका व्यक्तित्व विकसित हुआ। ये स्व. राश बिहारी मंडल मधेपुरा के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थे एवं अपना आदर्श श्री सुभाष चन्द्र बोस को मानते थे। इनकी धर्म पत्नी श्रीमति (स्व.) राशमणि देवी एक धर्मपरायण एवं कर्त्तव्यनिष्ठ महिला सदा इनकी प्रेरणा स्रोत रही भारत की गुलामी की ज्वाला से ये व्यथित थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में धमदाहा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का निर्वाह करते हुए थाना को आग के हवाले करने के कारण इन्हें पूर्णियाँ मंडल कारागृह में आठ माह गुजारना पड़ा।

अपने तीन पुत्र क्रमशः स्व. रूद्र नारायण सिंह यादव, पूर्व मुखिया, श्री सूर्य नारायण सिंह यादव, पूर्व विधायक, धमदाहा एवं श्री शिव नारायण सिंह यादव को छोड़ इस महान सेनानी ने 28.12.1995 को महाप्रयाण किया।

प्रधानाचार्य की कलम से

भागो नहीं दुनिया को बदलो

ऊपर उन्नत मेघाच्छन्न नीलाकाश, नीचे हरीभरी धरती पर पश्चिम दिशा में बिहार राज्य उच्च पथ, पूर्व दिशा में माधवनगर ग्राम उत्तर एवं दक्षिण में दूर तक फैली हुई हरियाली के सुरम्य विस्तार में लगभग अठारह एकड़ (रेकॉर्ड में तिरासी एकड़) के विशाल भूखंड पर भव्य प्राचीर से घिरा हुआ राम लाल महाविद्यालय का रमणीय परिसर – एक सुंदर – सुखद स्वप्न की साकार परिणति की भाँति प्रतीत होता है, जिसे इसी क्षेत्र के बेचैन नायक, सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे विकास पुरुष एवं शिक्षा-संस्कृति के प्रेमी श्रद्धेय राम लाल सिंह यादव जी ने गहरी नीन्द में नहीं, दिन के उजाले में देखा था। धमदाहा विधान सभा क्षेत्र का इकलौता यह महाविद्यालय रामलाल बाबू की हिमालय से भी ऊँची सोच का सुफल है। महानगरी पूर्णियाँ एवं भागलपुर से सुदूर ग्रामांचल, जहाँ बहुसंख्या में पिछड़े, अत्यंत पिछड़े अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब आमजन दो वक्त की रोटी के लिये अन्तहीन लड़ाइयाँ लड़ते और हारते रहे हैं,

हमारे पृष्ठपोषक, संरक्षक एवं अभिभावक

प्रोफेसर (डॉ० ) पवन कुमार झा

माननीय कुलपति महोदय पूर्णियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ

हमारे मूल्यबोधः-

उच्चतर शिक्षा के वृहत्तर क्षेत्र में श्रेष्ठता के उत्कर्ष पर पहुँच जाना...

हमारी प्राथमिकता एवं प्रतिबद्धता

  1. जाति धर्म सम्प्रदाय निर्विशिष्ट मनुष्य एवं मनुष्यता की प्रतिष्ठा…
  2. वर्ग एवं वर्ण के भेदभावों तथा किसी भी प्रकार की विषमता के विरूद्ध संघर्ष
  3. समाजिक न्याय एवं समरसता की स्थपना के लिए प्रतिबद्ध …

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