प्रधानाचार्य की कलम से
भागो नहीं दुनिया को बदलो
ऊपर उन्नत मेघाच्छन्न नीलाकाश, नीचे हरीभरी धरती पर पश्चिम दिशा में बिहार राज्य उच्च पथ, पूर्व दिशा में माधवनगर ग्राम उत्तर एवं दक्षिण में दूर तक फैली हुई हरियाली के सुरम्य विस्तार में लगभग अठारह एकड़ (रेकॉर्ड में तिरासी एकड़) के विशाल भूखंड पर भव्य प्राचीर से घिरा हुआ राम लाल महाविद्यालय का रमणीय परिसर – एक सुंदर – सुखद स्वप्न की साकार परिणति की भाँति प्रतीत होता है, जिसे इसी क्षेत्र के बेचैन नायक, सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे विकास पुरुष एवं शिक्षा-संस्कृति के प्रेमी श्रद्धेय राम लाल सिंह यादव जी ने गहरी नीन्द में नहीं, दिन के उजाले में देखा था। धमदाहा विधान सभा क्षेत्र का इकलौता यह महाविद्यालय रामलाल बाबू की हिमालय से भी ऊँची सोच का सुफल है।
महानगरी पूर्णियाँ एवं भागलपुर से सुदूर ग्रामांचल, जहाँ बहुसंख्या में पिछड़े, अत्यंत पिछड़े अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब आमजन दो वक्त की रोटी के लिये अन्तहीन लड़ाइयाँ लड़ते और हारते रहे हैं, जहाँ के बेपनाह बच्चे पर्याप्त प्रतिभा के होते हुए भी अपनी महत्वाकांक्षा एवं कल्पना से भरी हुई जिन्दगी की लड़ाई यहीं स्थगित करने के लिये अभिशप्त होते रहे हैं, उन बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की चिन्ता करते हुए मैला आँचल के सबसे अंधेरे इलाके में उच्च शिक्षा के केन्द्र के रूप में महाविद्यालय की स्थापना ( 29 नवंबर 1973 ई.) करना • राम लाल बाबू के महान् त्याग और आत्मबलिदान को प्रतीकित करता है।
जैसा कि ऊपर कहा गया देश – दुनिया के अंधेरे हाशिये पर जीने वाले लोग यहाँ होते हैं, वैसे ही देखा और महसूस किया जाता रहा है कि यहाँ देशी सामंतवाद, पूँजीवाद, अधिनायकवाद,
जातिवाद इत्यादि की भी प्रबल और विकराल चुनौतियाँ रहीं हैं, जिनसे लोहा लेने के लिए माननीय रामलाल बाबू की उज्ज्वल विरासत को सम्हाले हुए उनके सुपुत्र धमदाहा के दो बार यशस्वी विधायक रहे, समाजवाद और सामाजिक न्याय की प्रखर चेतना से लैस श्रद्धेय सूर्यनारायण सिंह यादव (जन्म :- 01 जनवरी 1935 ई. निधन :- 24 जनवरी 2024) ने सत्तर के दशक में स्थापित इस महाविद्यालय की उन्नति के मार्ग को बहुत प्रशस्त बनाया। उन्होंने राज्य सरकार तथा विश्वविद्यालय प्रशासन से बार-बार सत्याग्रह करते हुए आवश्यक अनुदान प्राप्त कर इस महाविद्यालय को अन्तरंग और बहिरंग से सम्बलित एवं समृद्ध किया ।
इन विभूतियों की साधना का यह प्राप्य है कि आज इक्कीसवीं शताब्दी के ढलते हुए दौर में यह रामलाल महाविद्यालय अपनी स्थापना के पचास वर्ष पूरे करते हुए बहुस्तरीय निर्माण, जीर्णोद्धार, सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण के बहुविध कार्यों की प्रक्रिया से गुज़रते हुए गतिमयता के साथ अग्रसर है ….. । सीमांचल के अखंड ग्रामांचल में अवस्थित इस रामलाल महाविद्यालय की कुछ अन्यतम विशेषताएँ:
पूर्णियाँ जनपद के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र के सुदूर ग्रामांचल में सबसे प्राचीन उच्च शिक्षा का केन्द्र, जहाँ पाँच जिलो के छात्र-छात्राएँ विगत चालीस वर्षों से उच्च शिक्षा का लाभ लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
- महाविद्यालय परिसर में कई भवन एवं कई भवन निर्माणाधीन मुख्य भवन अर्थात् रूद्रनारायण सदन, में ग्यारह वर्गकक्ष, निर्माणाधीन ‘सूर्यनारायण विज्ञान प्रखंड में कम-से-कम दस वर्गकक्ष एवं सात प्रयोगशालाओं के कक्ष प्रस्तावित । फूल देवी रासमणि देवी सदन में सात नवनिर्मित सुसज्जित प्रयोगशालाएँ; एक शिक्षक सदन एक छात्रा विनोद कक्ष क्रीड़ा – अनुभाग; राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यालय |
- प्रशस्त एवं सुविस्तृत शिवनारायण क्रीड़ांगन जिसमें फुटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, क्रिकेट एवं अन्य अनेक क्रीड़ा गतिविधियों का नियमित संचालन |
- महाविद्यालय में अवस्थित ‘बी. पी. मंडल पुस्तकालय में लगभग दस हज़ार पुस्तके एवं लगभग एक हजार पत्र पत्रिकाएँ ( Journals) । ऊपर द्वितीय तल का निर्माण प्रक्रियाधीन पुस्तकालय को Automated या स्वयंचालित पुस्तकालय बनाने का कार्य प्रगति पर ।
- महाविद्यालय का परिसर पूर्णतया Eco-friendly एवं हरियाली से युक्त । विद्युत ऊर्जा को बचाने निमित्त सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- वर्षाजल के संचयन की व्यवस्था ।
- सुयोग्य, सुदक्ष एवं अनुभव प्रवण अध्यापको के द्वारा नियमित सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक वर्गकार्यों का संचालन |
- साफ-सुथरे एवं शांतिपूर्ण वातावरण में कदाचार मुक्त परीक्षाओं का संचालन ।
- यथा स्थान दस शौचालय एवं शुद्ध शीतल पेय हेतु ‘हिमसलिला’ की व्यवस्था ।
- दो SMART CLASS ROOM का निर्माण प्रगति पर ।
- रामलाल–स्मारक, रासमणि देवी स्मारक एवं सूर्यनारायण स्मारक – तीन स्मारकों का निर्माण कार्य सम्पन्न ।
- लोकतांत्रिक अनुशासन
- महाविद्यालय प्रशासन द्वारा संचालित कई समितियाँ ।
डॉ० मुहम्मद कमाल
(प्रधानाचार्य)